फोटो =गूगल से साभार
शब्दों को पिरोना और लिखने का हुनर सबने सीखा
किसी ने कुछ खास लिखा, किसी ने कुछ आम लिखा
दिवाली पर दिवाली का लिखा, होली पर होली का लिखा
भला लिखने को भी अब इंसान परंपरा बनाता दिखा
बाहर दिवाली जा रही थी शांति से कोई बंद कमरे में बस लिखता दिखा
अपनी भावनाओं को एक विषय में सिकोड़ता, एक कवि मजबूर दिखा
ये कौनसा हुनर था लिखने का जो मेने नहीं सीखा
दो शब्द यहां से उठाए, चार शब्द वहां रखे हर कोई जुगाड़ बनाता दिखा
सब कुछ पढ़कर हंसी निकल गयी अचानक
तब किसी ने धीरे से कान में कहा
"तु उदास क्यूँ हो रहा है अगर तूने कुछ नहीं लिखा
ये जो सबने लिखा ये तो एक मशीन ने लिखा "
✍️Ashwini Dhundhara