Tuesday, November 5, 2019

और बताओ क्या हो रहा है

                           

photo =गूगल से साभार 

दिल्ली के दिल पर प्रहार हो रहा है
आँखे जल रही इंसान मर रहा है
खुद के फैलाये जहर से 
इंसान खुद ही रो रहा है

और बताओ क्या हो रहा है


खाकी बनी भक्षक, काला कोट कफन बन रहा है
लड़ रहे हैं आपस में कानून मर रहा है
न्याय, कानून, संस्थान, संविधान है खतरे में
राजनीति हो रही हावी नेता सिर चढ़ बोल रहा है

और बताओ क्या हो रहा है


आजादी सबकी छीन रहीं मानव मूल्य घट रहा है
ताकत का बोलबाला है हीनों में मौन  बँट रहा है 
आम आदमी गरीब, बेरोजगार, लाचार हो रहा है 
और बोल रहे हैं बहुत विकास हो रहा है 

और बताओ क्या हो रहा है 


हमें किसी की फ़िक्र क्यूँ नहीं 
ये क्या हो रहा है
व्यस्त हैं सभी या पतन हो रहा है

और बताओ क्या हो रहा है


                     ✍️Ashwini Dhundhara 

16 comments:

  1. अश्विनी जी, क्या क्या हो रहा है ये बताकर सबको जागृत करने के लिए आपने बहुत अच्छी रचना लिखी है।

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    1. धन्यवाद मीना दी आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए अमूल्य है

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  2. "व्यस्त हैं सभी या पतन हो रहा है" ... सोचने को मजबूर करती रचना ...अश्विनी .. बस लिखते जाओ भाई ...

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  3. खुद के फैलाये जहर से
    इंसान खुद ही रो रहा है


    सार्थक और सटीक 
    आजकल आस पास जो हो रहा है घट रहा है, ये सब देख कर,  सहन कर  ऐसी भावनाएं उत्पन्न  हो ही जातीं हैं

    बधाई 

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    1. अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए आभार जोया जी

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  4. धीरे धीरे भावों की धार बन रही है भाई।
    मैं चाहता हूं कि अपनी धार को यूं ही तीक्ष्ण करते जाओ।
    ये रचना बेहद शानदार है।
    ये एक ऐसा जाल समाज के ठेकेदारों का बनाया हुआ जिसमें आदमी फंसा हुआ है
    यही जाल फुट डालता है ताकि आपस में एक ना हो जाएं। सब फंस कर अंधे हो गए हैं। व्यस्त भी है और पतन भी हो रहा है लेकिन इनको पता नहीं चल रहा है। हो रहे अपने पतन के दौरान किसी अन्य का पूर्णतः पतन देख कर खुश भी हो रहा है।
    इससे आगे की जो बात है कि आदमी का पतन भी हो रहा है और फिर भी इसके पास ये मुद्दा नहीं बनता कि हम क्यों खत्म हो रहे हैं। इसी पर मेरी रचना " जागृत आँख  " है।

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  5. बहुत खूब ... और बताओ क्या हो रहा है ...
    गज़ब की व्यंग धार ... हर छंद लाजवाब है ...

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  6. शानदार प्रस्तुति, चल रहे और आनेवाली भयावहता का खाका खिंचती, उस पर चिंता व्यक्त करती, व्यंग के साथ यथार्थ दर्शन करवाती सार्थक रचना ।

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    1. धन्यवाद कुसुम जी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए

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  7. धन्यवाद आदरणीया मेरी रचना को चर्चा का हिस्सा बनाने के लिए

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  8. बहुत सुन्दर लिखा है आपने !

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  9. बहुत खूब , प्रिय अश्विनी | ये कवि का ही धर्म है कि समाज में हो रही असमान्य गतिविधियों से लोगों को अवगत कराए अच्छा लिख रहे हैं आप ? सस्नेह शुभकामनायें और आभार |

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    1. धन्यवाद आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए अमूल्य है

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