कभी कभी ऐेसे ही अचानक मन करता है
सब कुछ छोड़कर, परेशानियों को भुलाकर
चलो आज चलते हैं किसी
बचपन के दोस्त से मिलने
वापिस बचपन को जीने वापिस वहीं बाते दोहराने जिनसे परेशानियां तोबा करती है
लेकिन, कुछ बाते जो अब बचपन जेसी नहीं है
उनका अभ्यास करना जरूरी है
जेसे बिन बताये अचानक से जाना
उसका मुझे और मेरा उसे देखकर खुश होना
चलो लगे हाथ एक दोस्त से और मुलाकात हों
चलो बाइक की बजाये अपन साइकिल पर सवार हों
हाँ मोबाइल को भी घर ही रखकर जाऊँगा
चाहे लाख दर्द हो मेरे, चाहे हंसने की कोई वज़ह ना हो
चाहे नोकरी की चिंता रात को सोने नहीं देती हो
चाहे मेरा आज मुझ पर हंस रहा हो
लेकिन मेरी कोशिश बचपन सा खुश दिखने की ही होगी
बचपन तो अब नहीं आएगा वापिस
लेकिन कम से कम मुलाकात तो हूबहू सी होगी
✍️ ASHWINI DHUNDHARA